आजादी के बाद सत्ताधारियों ने केवल दो ही काम किए-एक कला और साहित्य के पोषक उन सामंतों की भत्र्सना करना और दूसरे अपनी निहित स्वार्थपरता की परिपूर्ति।
2.
जब इस पर एक बार चर्चा हो जाती है तो कंट्रोवर्शियल विषय नहीं कहूंगा और न सरकार की भत्र्सना करना चाहता हूं लेकिन मैं नीति की बात कह रहा हूं।
3.
नेहरू ने क्रांतिकारियों की गांधी द्वारा की गई भर्त्सना को ठीक नहीं माना और कहा कि इन लोगों या उनके कामों की भत्र्सना करना न्यायोचित नहीं है, बिना उन कारणों को जाने जो इसके पीछे हैं.
4.
नगर-सभ्यता का हृास और ग्राम आधारित निर्वाह-व्यवस्था की संवृद्धि, जाति-व्यवस्थाकी कठोरता और समाज जातियों, उपजातियों में बंटते जाना, वर्ण संकर संतानों का आधिपत्य, आवश्यक और उपयोगी कलाओं के काम में लगे दस्तकारों को ' अपवित्र ' और ' अस्पृश्य ' घोषित कर उनकी भत्र्सना करना, नगरवासी ब्राह्मणों के एक महत्वपूर्ण अंश का गांवों में बसना, सामाजिक सुरक्षा और राजनीतिक अराजकता।